एक दिन की बात है,
हमने कुछ ऐसा किया,
एक हाथ में पत्थर और एक हाथ में दिल लिया।
ये देखने के लिए की कौन सा है मजबूत ज्यादा,
दोनों के ऊपर हथोड़े से वार किया।
पत्थर का तो कुछ न बिगड़ा पर दिल हमारा टूट गया,
और उस दिन से ये हमसे रूठ गया।
बोला तुम्हे तो सिर्फ दुःख देना आता है,
तुम्हारे साथ रहकर हमारा सिर्फ गम से नाता है।
न तुम हँसते हो न तुम रोते हो,
इन ग़मों को तुम हमारे अन्दर ही संजोते हो।
फिर हमने उसे बड़े प्यार से समझाया,
लगा के गले से उसे ये बताया।
तुम मेरे अपने हो तभी तो दुःख देता हूँ,
तुम्हारे सिवा मैं अपना गम और किस्से कहता हूँ।
अगर तुम भी रूठ जाओगे तो मैं जीऊंगा कैसे,
इस जहर-ऐ-गम को पीऊंगा कैसे।
हमारी बात सुनकर एक आंसू आ गया,
बोला तुम अकेले कहाँ हो देखो मैं आ गया।
उसकी बात सुनकर दिल को करार आ गया,
हमें और उसपर थोडा सा प्यार आ गया।
सोचा हमने रोने के सिवा और क्या किया,
हमने दिल और आंसू दोनों को गले से लगा लिया।