
खुद तो अकेली थी ही वो,
मुझे भी तन्हा कर गयी,
पलभर में सारी खुशियाँ गम में बदल गयी।
सोचा था मैं संभाल लूँगा उसके आंसू,
पर उसके आंसू में मेरी हस्ती भी जल गयी।
वो ये कहकर मुझे रोता हुआ छोड़ गयी,
की तुम खुश रहना,
मेरी तो रोने की अब आदत पड़ गयी।
रोता था में उसके साथ बैठ कर,
अब कैसे खुश रहूँ उसके आंसू देखकर,
रह-रह कर बस एक ही बात याद आती है,
वो लड़की ऐसी नहीं थी, फिर वो क्यूँ ऐसे बदल गयी।
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