मैंने तुझसे कहा था ऐ दिल,
संभल जा अब क्यूँ रोता है,
दिल है एक कांच का टुकड़ा,
जो टूटने के लिए ही होता है,
तू इन्ही ग़मों में देख ख़ुशी,
क्यूँ ख़ुशी के लिए इन ग़मों को भी खोता है,
जब हौसला करेगा तो पायेगा मंजिल,
सिर्फ सोचते रहने से क्या होता है,
मैं जनता हूँ दिल भरा हुआ है अश्कों से,
पर आँखों में एक आंसू तक नहीं होता है,
उफ़ तक नहीं हैं जुबान पर, तू इतने गम क्यूँ सहता है,
अपने साथ रखा कर, अपनी तन्हाइयां,
क्यूँ तू इस घर में अकेला रहता है,
अक्सर सुना है अकेले में रोते हुए,
पर जब सामने आता है तो चुप रहता है।
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