मैंने तुझे ख़ुशी में भी याद किया है।
दो पल की जिंदगी नहीं दी सुख और चैन की,
तूने मेरी वफाओं का ये क्या सिला दिया है।
समझता था मैं, तू साथ है तो सारा जहाँ साथ है,
पर तूने एक पल में मुझे अकेला कर दिया है।
पल पल पर लिया इम्तेहान तूने,
हर पल परेशान किया है,
मुझे दुःख के सिवा और तूने क्या दिया है।
इतनी शिकायतें हैं, कैसे तुझसे मैं बयान करूँ,
तूने मुझे बेबस ही ऐसा किया है।
मेरी वफाओं के बदले मुझेपर ये एहसान कर दे,
दो दिनों की जिंदगी मेरी झोली में भर दे।
उन दो दिनों में मैंने महसूस करूँ उन सब बातों को,
जिनका अभी तक मैंने सिर्फ ख्याल किया है।
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