Friday, July 9, 2010

हे इश्वर

कदम कदम पर लिया इम्तेहान तूने, 
कदम कदम पर तूने साथ दिया। 
तुने कभी बुझने न दिया, 
आशाओं का एक भी दिया। 
लोग ढूंढते हैं तुझे मंदिर और मस्जिदों में, 
मैंने तुझे अपने दिल में बसा लिया। 
लोग करते हैं सिर्फ सचाई और ईमान की बातें, 
और मैंने उन्हें जिंदगी में अपना लिया। 
मेरी तमनाएं कर दे पल में पूरी, 
अब तो तूने मुझे बहुत तरसा लिया। 
अगर तू है सचमुच में तो, 
मेरी एक तमन्ना पूरी कर दे। 
या तो तू धरती पर आ जा। 
या मुझे आसमान पर बुला ले।

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