Sunday, November 4, 2018

कौन कहता है कि तुम जुदा हो गयी हो

कौन कहता है की तुम मुझसे 
जुदा हो गयी हो
मैं अब भी तन्हाई में तुमसे 
बहुत सी बाते किया करता हूँ

रात के अंधेरे में बत्तियां बुझा कर
आँखे बन्द करता हूँ तो
तुम मेरे सामने ही होती हो

कह देता हूँ तुम से
अपने दिल की हर बात
और तुम बस हंसती रहती हो

जानता हूँ मेरी बातें तुम तक नहीं पहुंचती है
पर फिर भी तुम्हे सामने देखकर
बाते करना अच्छा लगता है

कह देता हूँ अपने दिल की हर बात
और तुम खफा भी नही होती हो
बड़ा हंसी वक़्त होता है वो भी
जब तुम इस तरह ख्यालो में आती हो

Sunday, October 28, 2018

चलो साथ मेरे

चलो साथ मेरे,
जब तक मंजिल ना मिले,
दो कदम तुम चलो
दो कदम हम चले
यूँ ही सुबह गुजर जाए
बस यूँ ही शाम ढले
गर्म धूप में हम
बन कर ठंडी छाव चले
फिर वो मंजिल की दूरी
कभी दूर ना लगे लगे
पकड़ कर एक दूसरे का हाथ 
जब कभी हम साथ चले

Monday, October 22, 2018

जितने भी काफिले निकले

मंज़िल की तरफ जितने भी काफिले निकले
खुदा गवाह है उनके दिलो में भी फासले निकले

जो बातें करते थे हमेशा फूलो और खुशबू की
उनके होठों से भी जब निकले तो काटें निकले

पत्थर हो गया है इस जमाने में लोगो का दिल
मैय्यत में भी निकले तो हँसते हुए निकले

क्या बयाँ करे 'साहिल' इस जमाने की बात
लोगो के हाथो में फूल और बगल में खंज़र निकले

Wednesday, September 26, 2018

बात बस इतनी सी थी

बात बस इतनी सी थी 
की हम बिछड़ गए
कुछ वक़्त बदला, कुछ ख्वाब टूटे
और हम बिखर गए

बात बस इतनी सी थी
की हमे दूर होना था
कुछ नया पाना था हमे
तो कुछ पुराना खोना था

बात बस इतनी सी थी
की मोहब्बत कम सी थी
चेहरे पर मुस्कान रही
पर आंखे नम सी थी

बात बस इतनी सी थी 
की उसे रूठ जाना था
दूर जाने का उसके पास
बस ये ही एक बहाना था

बात बस इतनी सी थी
की मोहब्बत से भी दिल भर गया
पहले वो दिल में उतरा 
और फिर दिल से उतर गया

Wednesday, September 19, 2018

बचपन बहुत अच्छा था

माँ का प्यार था तो बाप का डर भी था
मगर वो जमाना कितना सच्चा था।
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

सुबह उठने का मन न करना
पर स्कूल भी तो जाना था
होमवर्क क्यों किया नहीं 
ये बहान भी तो बनाना था

दिल उस वक़्त मासूम और सच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

ना फिक्र जमाने की थी
ना खुशियों की ही कोई कमी थी
बस माँ के आँचल में सारी दुनिया थमी थी
खुवाईशों के लिया बाप का साया था
जो माँगा वो उनसे वो सब कुछ पाया था

बड़ा मज़ा था उस वक़्त में जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

अब से मैं बड़ा हो गया हूँ,
अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
पर ना वो सूकून मिलता है
और ना वो चैन ही मिलता है
सीने में कही अरमानो का
एक अंगारा सा जलता है
मैं जब से अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
सोचता हूँ मैं क्यों बड़ा हो गया हूँ

याद आता है वो वक़्त जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

Sunday, September 2, 2018

दिल की बात

ये तो दिल की बात है की मैं क्या लिखता हूँ
कभी कहानी कोई तो कभी ग़ज़ल लिखता हूँ
बड़ा मासूम है वो भी जो दगा दे गया, 
बेवफा लिखता हूँ तो कभी उसे वफा लिखता हूँ
सीखा है हमने हर गम में मुस्कुराना, 
कभी जख्म दिलो के तो कभी दवा लिखता हूँ
बस यूँ ही कट रही है ज़िन्दगी अपनी,
कभी रिश्ते नए तो कभी दोस्त पुराने लिखता हूँ

Friday, August 17, 2018

मैं भी खोया सा लगूँ


मैं भी खोया सा लगूँ, वो भी गुमसुम सी लगे
बैठे हो हम कहीं आमने-सामने
हमारी आंख मिले और दिल धड़के
मुझे भी कुछ याद आये, उसे भी कुछ याद आये
ना वो कुछ बोले ना मैं कुछ बोलूं
बस ऐसे ही वो वक़्त चलता रहे
कुछ मन में उमंग हो तो कुछ दिल जले
बस कुछ कदम ही सही वो हमसफ़र साथ चले

Monday, April 23, 2018

कई रंग देखें हैं जमाने में

कई रंग देखें हैं जमाने में, 
मोहब्बत के सिवा कोई रंग भाया ही नहीं।
रूठा वो शख्स ऐसा हमसे,
ख्वाबों में भी कभी आया ही नहीं।
चेहरा देख कर पूछते थे मुस्कुराने की वजह,
दिल का दर्द जो हमने कभी सुनाया ही नहीं।
एक वो ही है जो दिल से नहीं जाता,
और कोई दूसरा दिल में कभी समाया ही नहीं।
जो दिल फिदा हो कभी 'साहिल' पर,
वो दिल खुदा ने कभी बनाया ही नहीं।

Wednesday, April 18, 2018

ख्यालो का सिलसिला


ख्यालो का सिलसिला बस,
यूं ही चलता रहता है।
उठते हैं जज्बात कई,
दिल मचलता रहता है।
रंजिशें दुनिया की अब सोने नहीं देती,
हर रोज़ किसी का घर जलता रहता है।
बंद नज़र आता है हर रास्ता 'साहिल' का,
बस एक उम्मीद का दिया जलता रहता है।


Friday, March 9, 2018

ढूंढते रहे दिल हाथो में ले कर,

ढूंढते रहे दिल हाथो में ले कर, 
जमाने में हमें कहीं वफ़ा ना मिली।
वो चिराग इतराये बहुत खुद पर, 
जिन्हें जलने के बाद कभी हवा ना मिली ।

उसकी दीवानगी हमारे दिल पर
कुछ इस तरह से काबिज़ रही,
जैसे किसी बीमार को 
कभी कोई दवा ना मिली।

वो खुद जा कर डूब गया 
गहरे बीच समुन्द्र में,
शिकायत उसे बस ये रही कि 
उसे 'साहिल' की राह ना मिली।

ख्वाबों में भी मिलना


ख्वाबों में भी मिलना उसे गँवारा नहीं होता।
एक वो ही शक्स है तो हमारा नहीं होता।
कहने के लिए तो जमाना अपना है मगर।
टूटे हुए दिल का कोई सहारा नहीं होता।
जाने क्या कमी रह गयी है हम में,
हम सबके हो जाये भी तो कोई हमारा नहीं होता ।

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देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...