Wednesday, September 19, 2018

बचपन बहुत अच्छा था

माँ का प्यार था तो बाप का डर भी था
मगर वो जमाना कितना सच्चा था।
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

सुबह उठने का मन न करना
पर स्कूल भी तो जाना था
होमवर्क क्यों किया नहीं 
ये बहान भी तो बनाना था

दिल उस वक़्त मासूम और सच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

ना फिक्र जमाने की थी
ना खुशियों की ही कोई कमी थी
बस माँ के आँचल में सारी दुनिया थमी थी
खुवाईशों के लिया बाप का साया था
जो माँगा वो उनसे वो सब कुछ पाया था

बड़ा मज़ा था उस वक़्त में जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

अब से मैं बड़ा हो गया हूँ,
अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
पर ना वो सूकून मिलता है
और ना वो चैन ही मिलता है
सीने में कही अरमानो का
एक अंगारा सा जलता है
मैं जब से अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
सोचता हूँ मैं क्यों बड़ा हो गया हूँ

याद आता है वो वक़्त जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...