मंज़िल की तरफ जितने भी काफिले निकले
खुदा गवाह है उनके दिलो में भी फासले निकले
जो बातें करते थे हमेशा फूलो और खुशबू की
उनके होठों से भी जब निकले तो काटें निकले
पत्थर हो गया है इस जमाने में लोगो का दिल
मैय्यत में भी निकले तो हँसते हुए निकले
क्या बयाँ करे 'साहिल' इस जमाने की बात
लोगो के हाथो में फूल और बगल में खंज़र निकले
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