Wednesday, April 29, 2020

लाख संभल कर मैं



लाख संभल कर मैं,
हर वक़्त चलता रहा
वक़्त मेरे हाथ से फिर भी, 
रेत की तरह फिसलता रहा
क्या हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ
बस यही मेरे जहन में,
हमेशा चलता रहा
क्या है राबता उससे मेरा,
क्यों उसके लिए,
मन मेरा मचलता रहा
रंज में गुजरती है जब शाम मेरी
रात भर मैं बस फिर,
इसी तरह जलता रहा
उम्मीद की किरण, 
जब मैं लेकर चलता हूँ
तूफान में भी दिया मेरा, 
बस यूँ ही फिर जलता रहा
हज़ार तूफां आये समुन्द्र में तो क्या
'साहिल' तो बस लहरो का, 
इंतेज़ार ही करता रहा

Wednesday, April 22, 2020

मैं और तुम




थोड़ी गीता पढ़ी है मैंने,
थोड़ा पढ़ा है कुरान भी
अच्छो के लिए अच्छे रहो,
बुरो के लिए बेईमान भी।

गीता में देखा मैंने अपनो का,
कृत्य कितना गंदा था।
कुरान में पढ़ा मैंने वो,
शैतान भी खुदा का बंदा था।

गलत को गलत कहूँगा,
चाहे बात मेरे धर्म की हो।
सबसे जरूरी ये होना चाहिए,
की बात सिर्फ अच्छे कर्म की हो।

मैं खुद अपनी बुराई को देखूं,
तुम अपनी बुराई खुद ढूंढ लेना।
पर जहाँ देखो बुराई तुम,
अपनी आंखे ना मूंद लेना।

लड़ना खूब बुराई से तुम,
चाहे फिर जीत हो या हार हो।
सब मिल जुल कर रहे तो,
कोई ना फिर लाचार हो।

अंत में कहूँ बस इतना सा,
कहत साहिल सुन भई यारो।
दूसरो को कुछ कहने से पहले,
अपने अंदर की बुराई को मारो।

Thursday, April 16, 2020

कयामत



मासूम सा चेहरा उसका,
उस पर भी सादगी छाई है
जरा बच कर रहना दोस्तो,
आज कयामत आयी है
ज़ुल्फ़ लटका कर गालो पर
वो सौम्य को साथ लायी है
देख कर उसको ऐसा लगा
मेनका रूप बदल कर आयी है
आंखे उसकी झुकी हुई सी
बिन काजल के कजराई है
कत्ल करने का हथियार वो
इन्ही आंखों में दबा कर लायी है
होंठ उसके पंखुड़ियाँ गुलाब की
बोले तो बस फूल बिखरे
छुपा कर अपने लबो में वो
एक प्यारी सी ग़ज़ल लायी है
जरा बच कर रहना दोस्तो,
आज कयामत आयी है

कुछ अपने बारे में



टूटा, बिखरा और संभल गया
इस तरह वो आगे निकल गया
चमकते तारो की तरह अब वो 
आकाश में नज़र आता है
दुनिया से उसे लेना क्या अब
बस अपनी धुन में गाता है
बहुत कुछ खोया है उसने तो
कुछ थोड़ा पाया भी है
ज़िन्दगी को जबसे समझा है उसने
वो हंसा भी है और रोया भी है

वो एक लड़की है



सौ रंग लगे हैं मेरे मन में,
बस एक उसका रंग ही गहरा है
लाखो की भीड़ में बैठा हूँ
सामने बस उसका चेहरा है
नज़रे उसकी झुकी हुई सी,
उस पर पलको का पहरा है
शर्मीली सी बिल्कुल दुल्हन जैसी
रंग भी उसका सुनहरा है
बात करे तो मोती बरसे
कोयल का जैसे बसेरा है
वो एक लड़की है मेरे मन की
जिसकी मुस्कान से होता सवेरा है
सौ रंग लगे हैं मेरे मन में
बस एक उसका रंग ही गहरा है

Saturday, April 4, 2020

एक नारी की कहानी



कहने को तो आज़ाद है
पर घर में ही बंद पड़ी है
खुद के लिए कुछ सोचती नहीं
पर अपनो के लिए हर दम खड़ी है
लाज, शर्म, संस्कृति के गहनों से वो
हर वक़्त ही बस दबी पड़ी है
खुद के लिए हो बात तो 
शायद माफ भी कर दे
पर जिन्हें समझती है अपना 
उनके लिए हमेशा लड़ी है
माँ, बीवी, बहन, बेटी या 
फिर बस सखी हो
हर रिश्ते में ही ये अव्वल सबसे बड़ी है
सूंदर, चंचल, चपल या सादी
हर रूप में इसकी सुंदरता बड़ी है
कहने को तो एक नारी है ये
पर जीती-जगती एक देवी खड़ी है

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आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...