सौ रंग लगे हैं मेरे मन में,
बस एक उसका रंग ही गहरा है
लाखो की भीड़ में बैठा हूँ
सामने बस उसका चेहरा है
नज़रे उसकी झुकी हुई सी,
उस पर पलको का पहरा है
शर्मीली सी बिल्कुल दुल्हन जैसी
रंग भी उसका सुनहरा है
बात करे तो मोती बरसे
कोयल का जैसे बसेरा है
वो एक लड़की है मेरे मन की
जिसकी मुस्कान से होता सवेरा है
सौ रंग लगे हैं मेरे मन में
बस एक उसका रंग ही गहरा है
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