Saturday, July 10, 2010

नफरत

दिए हैं किसी ने इल्जाम इतने, 
अब खुद से भी नफरत होने लगी है। 
कैसे संभालू मैं खुद को, 
अब तो आँखें भी रोने लगी हैं। 
सब झूंठ के हैं यहाँ रिश्ते नाते, 
अब तो रिश्तों के नाम से भी 
रूह कंपकपाने लगी है।
विश्वास था खुद पर की मैं अच्छा हूँ, 
अब तो मेरी उम्मीद भी खोने लगी है। 
जितनी थी जरूरत जिसको, 
उतना इस्तेमाल किया, 
अब मेरी जरूरत कम होने लगी है। 
बहुत दर्द है इस दिल में, 
जो कम नहीं होता, 
कांटो की सी चुभन दिल में होने लगी है।

Friday, July 9, 2010

हे इश्वर

कदम कदम पर लिया इम्तेहान तूने, 
कदम कदम पर तूने साथ दिया। 
तुने कभी बुझने न दिया, 
आशाओं का एक भी दिया। 
लोग ढूंढते हैं तुझे मंदिर और मस्जिदों में, 
मैंने तुझे अपने दिल में बसा लिया। 
लोग करते हैं सिर्फ सचाई और ईमान की बातें, 
और मैंने उन्हें जिंदगी में अपना लिया। 
मेरी तमनाएं कर दे पल में पूरी, 
अब तो तूने मुझे बहुत तरसा लिया। 
अगर तू है सचमुच में तो, 
मेरी एक तमन्ना पूरी कर दे। 
या तो तू धरती पर आ जा। 
या मुझे आसमान पर बुला ले।

Thursday, July 8, 2010

रिश्ते

हमें सबसे ज्यादा दुःख शायद रिश्तो को लेकर ही होता है, और खासकर उन रिश्तों को लेकर जो हम खुद बनाते है। जब हम रिश्ते बनाते है तो बहुत विश्वाश होता है दूसरे पर हम सोचते हैं की हम जितना उसके लिए करें वो भी हमारे लिए उतना ही करे, या कहूँ उतना सही पर उसके दिल में हमारे लिए फीलिंग जरूर रहे। पर हकीकत कुछ और ही कहती है, यहाँ हम कितने भी सचे रिश्ते बना ले पर दूसरों से उम्मीद करनी बेकार है, क्यूंकि हम किसी के लिए कितना भी कर ले उसके दिल में जगह नहीं बना सकते क्यूंकि उनके दिल में तो वो रहते हैं जिनसे वो रिश्ता बनाते हैं, और शायद दुखी वो भी रहते हैं क्यूंकि उन्हें भी अपने बनाये रिश्ते से दुःख ही रहता है। आखिर हम एक तरफ के रिश्ते बनाते ही क्यूँ हैं क्या सारी गलती हमारी ही होती है, क्या जो हम दूसरों पर विश्वाश करते हैं वो बस हमारी ही सोच होती है। शायद सारी गलती हमारी ही होती है क्यूंकि हमें उनसे रिश्ता बनाना चाहिए जो हमसे रिश्ता बनाना चाहते हों। जो हमसे रिश्ता बनाना चाहते हैं वो हमें कभी धोखा नहीं देंगे और हम उन्हें धोखा दे इतना तो हम कर ही सकते हैं। अगर रिश्ते में दोनों तरफ बराबर फीलिंग हों तो शायद वो रिश्ता सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला होगा। पर ये सिर्फ खुवाब की बातें हैं ऐसा रिश्ता बनाया ही नहीं जा सकता जिसमें दुःख हों। रिश्ते ही दुःख की असली वजह होते हैं। क्या करना है ऐसे रिश्तो का जिन्हें बना कर भी दुःख हो और जिन्हें तोड़ कर भी दुःख हो। काश मेरे अन्दर की फीलिंग को कोई तो समझ पाए और रिश्तो की असली एहमियत को समझे, रिश्ते वो ही नहीं होते जो हम बनाते हैं, रिश्ते वो भी होते हैं-जो हमसे बनाते हैं, और शायद वो रिश्ते ज्यादा अच्छे होते हैं जो हमसे बनाये जाते हैं की वो जो हम बनाते हैं।

Wednesday, July 7, 2010

दर्द

क्यूँ दर्द होता है दिल में, 
क्यूँ आग सी लगी रहती है 
भूलने की कोशिश करता हूँ सब कुछ, 
पर यादें क्यूँ ऐसे तडपाती हैं। 
क्यूँ दिए जिंदगी ने इतने गम, 
बस दिल में यही कसक सी रहती है। 
क्या कभी मिलेंगी खुशियाँ मुझे, 
बस ये ही सोच कर धड़कने थमी सी रहती हैं।

Saturday, July 3, 2010

शिकायत

सब तुझे दुःख में याद करते हैं
मैंने तुझे ख़ुशी में भी याद किया है 
दो पल की जिंदगी नहीं दी सुख और चैन की,
तूने मेरी वफाओं का ये क्या सिला दिया है 
समझता था मैं, तू साथ है तो सारा जहाँ साथ है,
पर तूने एक पल में मुझे अकेला कर दिया है 
पल पल पर लिया इम्तेहान तूने
हर पल परेशान किया है
मुझे दुःख के सिवा और तूने क्या दिया है 
इतनी शिकायतें हैं, कैसे तुझसे मैं बयान करूँ
तूने मुझे बेबस ही ऐसा किया है 
मेरी वफाओं के बदले मुझेपर ये एहसान कर दे
दो दिनों की जिंदगी मेरी झोली में भर दे 
उन दो दिनों में मैंने महसूस करूँ उन सब बातों को
जिनका अभी तक मैंने सिर्फ ख्याल किया है

Friday, July 2, 2010

किस्मत

जिंदगी भी क्या-क्या दिन दिखाती है, 
कभी हंसाती है दिल को कभी रुलाती है 
हम कुछ सोच भी ले अपनी हालत के बारे में, 
पर क्या करे किसी की याद हमें हर पल सताती है 
हम तो मर जाते तुम्हारा दुःख देखने से पहले, 
पर ये मजबूरी भी हमसे क्या क्या कराती है 
जब भी चाह है मैंने किसी को दिल के गहराई से, 
पता नहीं किस्मत उसे दूर क्यूँ ले जाती है 
कभी-कभी नींद नहीं आती है कई रातों तक, 
तो कभी जिंदगी हमेशा के लिए सो जाती है

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आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...