
दिए हैं किसी ने इल्जाम इतने,
अब खुद से भी नफरत होने लगी है।
कैसे संभालू मैं खुद को,
अब तो आँखें भी रोने लगी हैं।
सब झूंठ के हैं यहाँ रिश्ते नाते,
अब तो रिश्तों के नाम से भी
रूह कंपकपाने लगी है।
विश्वास था खुद पर की मैं अच्छा हूँ,
अब तो मेरी उम्मीद भी खोने लगी है।
जितनी थी जरूरत जिसको,
उतना इस्तेमाल किया,
अब मेरी जरूरत कम होने लगी है।
बहुत दर्द है इस दिल में,
जो कम नहीं होता,
कांटो की सी चुभन दिल में होने लगी है।