Thursday, December 4, 2014

आंसुओ से पलकों को


आंसुओ से पलकों को भिगोना चाहता हूँ 
आज मैं खुल कर रोना चाहता हूँ।  
जो खो गया है, मेरा बीता हुआ कल, 
मैं उसको फिर से पाना चाहता हूँ। 
थक चुका हूँ रो रो कर अब मैं, 
अब पल दो पल मैं मुस्कुराना चाहता हूँ। 
अपनों ने तो दिए है मुझे धोखे बहुत, 
अब मैं दुश्मनो को भी अजमाना चाहता हूँ। 
वही बात रह रह कर याद आती है मुझे,
जिसे मैं हमेशा के लिए भूल जाना चाहता हूँ 
कहने को तो बहुत कुछ है मेरे दोस्तों,
पर  कुछ बाते मैं अपने दिल में छुपाना चाहता हूँ। 

Wednesday, December 3, 2014

करो चाहे कितना भी


करो चाहे कितना भी भला किसी का 
यहाँ सिर्फ बुराई ही मिलती है 
मोहब्बत करो चाहे तुम कितनी भी किसी से 
यहाँ सिर्फ बेवफाई ही मिलती है 
जब तक रौशनी है तो देते है साथ सभी 
अँधेरे में तो अपनी परछाई भी नही मिलती है 


Monday, November 24, 2014

अभी गम भी नया है


अभी गम भी नया है और दर्द भी ताज़ा है 
एक दिल था पास अब वो भी आधा है 
जाने क्यों लोग वादा करके भूल जाते है। 
जो तोडा है उसने वो बस कल का ही वादा है। 
टूट तो गया हूँ मैं, पर संभल भी जाऊंगा
ये मेरा आज खुद से वादा है 

Monday, November 10, 2014

जिंदगी



आज ऑफिस जल्दी जाना है, मैं उठा और वाइफ से बोला उठ जा, आज ऑफिस जल्दी जाना है.

वाइफ : हम्म्म उठ रही हूँ 

मैं नहाने चला गया। 

वापस आया तो वाइफ अभी भी सो रही थी. मैंने उसकी तरफ देखा और बोला उठ जा यार.

वाइफ : ओह्ह मेरी आँख लग गयी थी
मैं : कोई नही 
वाइफ : रोटी बना दू ?
मैं : नही, मैं लेट हो जाऊंगा, बस चाय बना दे। 
वाइफ : अब भूखे पेट जाओगे? अच्छा लगेगा ऐसे?
मैं : यार रोटी के चक्कर में लेट हो जाऊंगा, तू चाय बना रही है तो बना दे वरना वो भी रहने दे। 
वाइफ : ठीक है बना रही हूँ,

मैंने चाय पी और ऑफिस के लिए घर से निकल गया।
बहार स्टैंड पर खड़ा हो कर ऑटो का इन्तेजार कर रहा हूँ लगता है आज लेट हो ही जाऊंगा काफी देर से कोई ऑटो नही आया है. 
कुछ देर बाद एक ऑटो आया और मैं चढ़ गया. ऑटो से मेट्रो और फिर मेट्रो से ऑफिस पहुँच गया. 
ऑफिस पहुँचते ही मैडम बोली की तुम्हे सर पूछ रहे थे, मैं पेन, नोटपैड उठाई और सर के पास चला गया, सर ने कहा ये एक पेपर नही मिल रहा उन सभी फाइल में देखो।
बहुत देर तक मैं वो पेपर देखता रहा पर मुझे मिला नही. 

सर : मिल गया ?
मैं : नही सर, ढूंढ रहा हूँ, 
सर : साल भर लगेगा क्या? आपको तो कुछ नही मिलता, जाओ मेल में देखो, उसमे होगा।

मैं सर के रूम से बहार आया और सिस्टम पर मेल में वो लेटर देखने लगा, थोड़ी सी कोशिश के बाद लेटर मिल गया मैं अंदर गया और लेटर दे दिया। 
वापिस अपने रूम में आया और फाइल और पेपर भेजने के लिए फाइल नंबर डालने लगा.
आज सुबह से सर भारी भारी सा हो रहा है, और खाना नही खाया था सुबह, इसलिए भूख भी लगी है, 
हमारी ऑफिस की कैंटीन में 1 बजे से  1.30 बजे तक खाना मिलता है फिर खत्म हो जाता है, 
12 बज रहे हैं मैं 12.45 पर कैंटीन में चला जाऊंगा वरना फिर भीड़ हो जाएगी, और 12.45 तक सभी फाइल भी डायरी कर दूंगा 
बस अब मेरा काम खत्म होने वाला हैं और 12.45 होने वाले है मैं खाना खा कर आता हूँ पहले। 

अपनी सीट से उठा तो सर का बजर आ गया मुझे अंदर बुला लिया
अंदर जाते ही सर बोले बैठो एक प्रेजेंटेशन बनाना है, 
मैं बैठ गया और प्रेजेंटेशन बनाने लगा 

जब प्रेजेंटेशन कम्पलीट हुआ तो सर बोले इसे थोड़ी देर में फाइनल करते हैं तुम  भी लंच कर लो 

मैंने ठीक है कहा और बहार आ गया, आ कर टाइम देखा तो 1.45 हो चुके थे, यानि अब कैंटीन में कुछ नही मिलेगा, मेरे साथ हमेशा ही ऐसा होता है जिस दिन मैं घर से खाना खा कर नही आता मुझे लंच भी नशीब नही होता, चलो कोई नही वैसे भी अब भूख मर गयी है, 

कुछ देर में कॉफ़ी आ गयी, मैंने कॉफ़ी पी ही थी की सर ने फिर प्रेजेंटेशन फाइनल करने को अंदर बुला लिया, और प्रेजेंटेशन ही फाइनल करने में लगा रहा

सुबह से सर में हल्का हल्का दर्द था अब बढ़ने लगा है, 

प्रेजेंटेशन फाइनल करके मैं वापिस अपने रूम में आया और जो पेपर और फाइल राखी हुई थी उन फाइल्स और लेटर को फिर से डायरी करने लग गया. हमारे यहाँ फाइल्स और पेपर का काम ही ज्यादा होता है। 

फाइल डायरी कर ही रहा था की मैडम बोली की सर ने बोला है की एक मेल आई है वो मेल मिल नही रही है जरा सर्च करो तुम्हे मिल जाती है तो ? उन्होंने मुझे मेल का नाम और सब्जेक्ट बताया। 

मैं डायरी करने के साथ साथ मेल भी देख रहा था 

फिर जब तक बैठा रहा बस ऐसे ही कुछ न कुछ काम में लगा रहा, बस ऐसे ही मेरा पूरा दिन निकल जाता है, पर आज सर बहुत दर्द कर रहा है. चलो आज का दिन तो निकल ही गया बस घर जा कर खा पी कर सो जाना है, सुबह तक ठीक हो जाऊंगा 

मैं घर पहुँच कर लेट गया और आँखे बंद कर ली 

वाइफ : क्या हुआ ?
मैं : कुछ नहीं बस थक रहा हु 
वाइफ : तुम ऑफिस में करते ही क्या हो, जो थक गए, बैठने का ही काम तो है तुम्हारा 
मैं : यार ऑफिस में दिन भर कुछ न कुछ चिक चिक होती रहती है, शरीर से ज्यादा मैं दिमाग से थक जाता हूँ, 
वाइफ : अछा ठीक है हाथ मुह धो लो मैं खाना लगा देती हूँ 

मैं उठा और कपडे चेंज करके हाथ मुह धोने चला गया 
वापिस आ कर मैं खाना खाने बैठ गया 

वाइफ : पता है आज भाभी अपने बच्चे के लिए खाने को लायी थी, और हमारे बच्चे को कुछ दिया तक नही 
मैं : तुझे तो ये ही सब रहता है, मेरे सर में दर्द है मुझे नही सुननी तेरी ये बात 
वाइफ : तुम्हारे तो हमेशा ही सर में दर्द रहता है, जब देखो सर में दर्द है, 
मैं : मैं जान कर तो करता नही, हो जाता है, 
वाइफ : जाओ सब समझती हूँ मैं, तुम मुझसे बात ही नही करना चाहते 
मैं : मुझे अब खाना खाने देगी 
वाइफ : खा लो मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ 

9 बज गए है, मैं खाना खा कर आँखे बंद करके लेट गया।  सो जाऊंगा तो सर दर्द ठीक हो जायेगा पर अभी वाइफ के पसंदीदा सीरियल आ रहे है तो टीवी चल रहा है तो नींद भी नहीं आएगी, चलो कोई नहीं 10 बजे तक देखने दो इसे फिर बंद करवा दूंगा। तभी वाइफ की आवाज मरे कानो में पड़ी 

वाइफ : चाय पियोगे 
मैं : बना ले 
वाइफ : आज तुम्हारे हाथ की पीने का मन कर रहा है 
मैं : तुझे बनानी है तो बना ले, मैं तो बनाऊंगा नहीं 
वाइफ : तुम तो मेरे किसी काम नही आते, कभी भी नहीं कहते की मैं बना देता हूँ 
मैं : मेरे लिए चाय मत बनाना 
वाइफ : क्यों ? तुम तो इतनी जल्दी बुरा मान जाते हो 
मैं : वो बात नहीं है, नींद आ रही है, चाय पिने के बाद नींद नहीं आएगी फिर 
वाइफ : थोड़ी सी पी लेना मैं बना रही हूँ 
मैं : नही मैं नही पियूँगा 
वाइफ : ठीक है 
(पता नहीं क्यों मैं बहुत चिड़चिड़ा सा हूँ, जब एक बार कोई मना कर देता है या एक बार कहने पर नहीं करता है तो मेरा दिल हट जाता है उस काम को करने से, इसलिए मैं नही करता फिर )

10 बज गए हैं मैं वाइफ से बोल देता हूँ टीवी बंद करने को.

मैं : टीवी बंद कर दे यार, सो जाते है, आज मेरे सर में भी दर्द है 
वाइफ : बस ये 2 सीरियल और देखने दो 
मैं : (उसके 2 सीरियल का मतलब 11 बजे तक) यार बंद कर दे, सीरियल कोई मुझसे ज्यादा थोड़े ही है, मेरे सर में दर्द है 
वाइफ : बस ये देख लू कर दूंगी बंद 
मैं : यार सीरियल तो दिन में भी आते है तब देख लेना 
वाइफ : मुझे दिन में बिलकुल टाइम नही मिलता, टीवी बिलकुल भी नहीं चलती मैं 
मैं : ठीक है देख ले 

मैं आँखे बंद करके लेट गया और सोचने लगा की क्या मेरी लाइफ ऐसे ही बीतेगी, जहा सीरियल मुझसे ज्यादा है, ऐसे ही चलता रहा तो लाइफ कैसे कटेगी पूरी, मैं सोना चाहता हूँ, पर कानो में टीवी की आवाज पड़ रही है और मैं सो नहीं पा रहा हूँ, 

(काफी देर तक मैं ऐसे ही सोचो में गुम रहा) अब 11 बजने वाले है, चलो अब तो सो ही जाऊंगा 

मैंने आँखे खोली तो वाइफ सो रही थी, 

मैं : जब तुझे सोना ही था तो टीवी बंद कर देती 
वाइफ : हां मेरी आँख लग गयी थी 
मैं : अब टीवी बंद कर दे 
वाइफ : हाँ कर रही हूँ 

वो उठी और टीवी बंद कर दिया, मैं आराम से लेट गया और सोचा चलो अब तो आराम से सो जाऊंगा और सुबह तक ये सर दर्द ठीक हो ही जायेगा, कुछ ही देर में मेरी आँख लग गयी 

अचानक मेरे कानो में बर्तन के खड़कने की आवाज आई और मेरी आँखे खुल गयी, रूम की लाइट जल रही थी, मैंने वाइफ से पूछा की क्या कर रही है तो बोली दूध गरम कर रही हूँ, मैंने कहा की तब से गरम नही कर सकती थी, जब मैं सोने वाला हूँ तभी तू ऐसे काम किया कर 

(कहाँ तो मैं 9 बजे से सोने की सोच रहा हूँ और कहा अब 11.30 हो रहे है)
 
कुछ देर बाद दूध गरम हुआ फिर वाइफ ने लाइट बंद की और वो सो गयी, पर मेरी आँखों में नींद उड़ चुकी थी मैं 10 मिनट् सो गया था इसलिए अब नींद जल्दी नही आएगी, और सर में दर्द और ज्यादा हो गया है,

अब मेरा मन और दुखी सा हो रहा है, क्यों मुझे कोई ऐसा नही मिलता जो मुझे समझ सके, कभी सोचता था की वाइफ आएगी तो कम से कम वो तो फ़िक्र करेगी ही पर क्या मेरी वाइफ को मेरी फ़िक्र है, शायद होगी ही, मैं इसका पति जो हु, पर फिर मुझे क्यों नही लगता, 
क्या ये ही प्यार है, जहाँ कोई फीलिंग ही न हो, जिंदगी में हम कितने सपने सजाते है, पर सब पूरे नहीं होते पर फिर भी कही न कही हम एक उम्मीद तो रहती है, पर मेरी सभी उम्मीद अब खत्म हो गयी है, क्युकी अब कोई मेरी जिंदगी में नही आ सकता। कुछ दोस्त है जिनसे मेरी साँसे चल रही है, जब वाइफ से दुःख होता है तो उनसे बात करके लगता है चलो कोई तो है जिसे फ़िक्र है, बेसक पूरी जिंदगी साथ न दे पर जब तक है तो मैं खुश हो रहता हूँ। 

अगर मेरे दोस्त मेरी लाइफ में न हो तो ?? नहीं नहीं ऐ खुदा ऐसा कभी मत करना वरना मैं बहुत अकेला हो जाऊंगा, मेरे दोस्त मेरे जीने की वजह है, मेरे दोस्तों के सिवा मेरी लाइफ में अब है ही क्या ?
 
काफी देर तक ये सब ही सोचता रहा फिर मोबाइल उठा कर टाइम देखा तो 12.15 हो रहे थे पर अभी नींद का पता नही था की कब आएगी, बस दिमाग में ऐसी ही अच्छी - बुरी बाते आती रही और मैं कब सो गया मुझे पता नही 

Thursday, October 16, 2014

जो टूट कर बिखरा हो 


जो टूट कर बिखरा हो 
उसका संभलना आसान नहीं होता 
हर कोई इस दिल का मेहमान नहीं होता 
जिसने कांटो के बीच से फूल चुना हो 
वो कांटो की चुभन से अनजान नहीं होता 
ये तेरी बेरुखी है तो ये ही सही 
किसी के लिए जीना या मरना आसान नहीं होता 
तुमने कर ली है दूरिया पैदा तो खुश रहना  
जो अपना होता है उनका ये काम नहीं होता 

Monday, July 14, 2014

फिर दिल लगाने की सजा


फिर दिल लगाने की सजा हमने कुछ ऐसे पायी है, 
करवटे बदल-बदल कर पूरी रात बितायी है। 
दिल से किसी को चाहने की बस सजा ही मिलती है,
ये बात फिर दिल टूटने के बाद समझ में आई है। 
उसे फर्क नहीं पड़ता मेरे होने या न होने से, 
जिसके यादे मैंने अपनी धड़कनो में बसाई है। 
क्या मिला किसी को अपनी जान से भी ज्यादा चाहने से, 
गम और यादो की दौलत हमने तोहफे में पायी है।  

Thursday, May 22, 2014

बड़ी अजीब सी हालत है


बड़ी अजीब सी हालत है, तू दूर भी है पास भी,
तू ही मेरी धड़कन है, तू ही मेरा एहसास भी।
लिख तो दी हैं किश्मत ने हमारे बीच दूरी, 
पर इस दिल में तुझे पाने का है विश्वास भी
दिल करता है काश तुझे लगा लूँ सीने से,
तू ही मेरी जिंदगी है अब तू ही मेरी प्यास भी

Tuesday, May 20, 2014

एक बात कहुँ तुमसे

एक बात कहुँ तुमसे
तुम मेरी बन जाओ ना
नहीं लगता कही मन मेरा 
तुम मेरी जिंदगी बन जाओ ना 
आखिर क्यों लिखी किस्मत ने दूरी 
तुम तोड़ के सारे बंधन बस 
मेरी बन जाओ ना 
कैसे कटता है हर एक पल तेरे बिना 
तुम आ कर मेरे दिल की धड़कन बन जाओ ना 
क्यों खुदा ने तुम्हे मेरा नहीं बनाया 
अब तुम ही उससे शिकायत करो ना 
बस मैं अब कुछ नही जानता 
तुम मेरी बन जाओ ना

Wednesday, March 19, 2014

फिर वही .......


आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने बैठा हूँ, कुछ ग़ज़ल या शायरी से अलग अपने दिल कि बात।  क्यों लिखता हूँ मुझे नही पता बस लगता हैं अपने अंदर नहीं रख सकता इसलिए लिख देता हूँ।   

बात वही है जो पहले थी, प्यार और विश्वाश। 

मैंने अपनी जिंदगी में प्यार कि कमी बहुत महसूस कि हैं इसलिए ही जब भी किसी से प्यार मिला बस जी-जान से उसी का हो गया। पर बात फिर वही आ जाती है, ये जरुरी नहीं होता कि सबकी सोच हमारे जैसी ही हो और दूसरा भी हमें वैसा ही प्यार करे जैसा हम करते हैं। 

सब कहते सब हैं कि प्यार और विश्वाश दुबारा नहीं होता लेकिन ऐसा नहीं है, प्यार भी दुबारा हो जाता हैं, और उतना ही जितना पहली बार होता है। मुझे भी हो गया और शायद मैं ही पागल था जो दुबारा किसी को प्यार किया और उस पर विश्वाश किया।  प्यार मैं क्या करू मैं भूखा हूँ प्यार का, जैसे भूखा रोटी के लिए दुखी रहता है मैं प्यार के लिए रहता हूँ, जितना मैं किसी को प्यार करता हूँ उतना मुझे क्यों नहीं मिलता। क्या ये मेरी गलती है कि मैं किसी को प्यार करता हूँ तो उस पर जान भी दे सकता हूँ।  

पता नहीं लोग क्यों झूठ बोलते हैं और क्यों सच्ची बात छिपाते हैं । मैं किसी पर इतना विश्वाश करता हूँ और वो मुझे अपनी बात न बताये या झूठ बोले ये मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, क्या करू मैं।  क्या सबको दुःख पहुँचने के लिए मैं ही मिलता हूँ।  


मैं अपनी यादे अब किसी के लिए बेकरार ना करू, 
चाहे मौत मिले या जिंदगी, किसी का इन्तेजार ना करू।  
ऐ खुदा अगर सुनता हैं मेरी दुआ तो बस इतना करना, 
जिंदगी में मैं अब किसी से प्यार ना करू।  

Wednesday, February 12, 2014

नया दिन है


नया दिन है, नयी उमंग है, नया है सवेरा,
पल पल इंतज़ार है, कब आयेगा पैगाम तुम्हारा ?
 तुम जो मिलते हो, फिर मिल कर बिछड़ जाते हो,
किसी दिन मेरी जान ले लेगा, अंदाज़ ये तुम्हारा।
तुम किसी को देख कर ऐसे न मुस्कुराया करो, 
किसी को भी पागल बना सकता है, चेहरा तुम्हारा।
बस एक छोटी सी गुजारिश है अगर मान लो, 
कभी दूर ना जाना तोड़ कर दिल हमारा।


Friday, February 7, 2014

मेरा देश महान


भीख मांगते बच्चे देखे,
पल पल दुःखी देखा इंसान।
क्या होगा अब देश का,
अब तो भला करे भगवान।
हो जाते है करोड़ो के घोटाले,
और गरीबी से मर जाते हैं किसान।
जिसका जो हो उसे मिलता नहीं,
बिच में खा जाते हैं बेईमान।
इतिहास गवाह है देश का,
यहाँ रहे हमेशा हिन्दू और मुसलमान।
ना वो बन सके कभी भारतीय,
और ना बन सके एक अच्छा इंसान।
लड़ने लगते हैं जात-धर्म के नाम पर,
भूल जाते हैं कि वो हैं एक इंसान।
जानवर बन कर छीन लेते हैं,
एक बच्चे से भी उसकी पहचान।
ये हैं मेरे देश कि हालत,
फिर भी हो रहा हैं भारत निर्माण।
अब तो बस भला करे भगवन।
अब तो बस भला करे भगवन।
 

Tuesday, January 28, 2014

हाय मैंने क्यों प्यार कर लिया


हाय मैंने क्यों प्यार कर लिया 
खुद को क्यों बेक़रार कर लिया 
तड़प कर देख लिया किसी कि यादो में 
मौत से भी ज्यादा इंतज़ार कर लिया 
 हाय मैंने क्यों प्यार कर लिया 

वक़्त बदलेगा तो लोग भी बदल जायेंगे 
हम तन्हा थे तन्हा ही रह जायेंगे 
क्यों किसी पर मैंने इतना ऐतबार कर लिया 
हाय मैंने क्यों प्यार कर लिया
हाय मैंने क्यों प्यार कर लिया

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...