अकेले में जब गीता गुनगुनाते
हैं
बेवजह ही हम अक्सर मुस्कुराते हैं
जब किसी के इन्तज़ार में
पल पल गिन कर वक़्त बिताते हैं
जब किसी के तस्सवुर के लिये
हम भीड़ में भी खो जाते हैं
हम जगते रहते हैं रातो को
फिर ऐसे ही जाने कब सो जाते हैं
ऐसा ही होता है अक्सर जब हम,
मोहब्बत के खवाबों मे खो जाते हैं