Wednesday, September 26, 2018

बात बस इतनी सी थी

बात बस इतनी सी थी 
की हम बिछड़ गए
कुछ वक़्त बदला, कुछ ख्वाब टूटे
और हम बिखर गए

बात बस इतनी सी थी
की हमे दूर होना था
कुछ नया पाना था हमे
तो कुछ पुराना खोना था

बात बस इतनी सी थी
की मोहब्बत कम सी थी
चेहरे पर मुस्कान रही
पर आंखे नम सी थी

बात बस इतनी सी थी 
की उसे रूठ जाना था
दूर जाने का उसके पास
बस ये ही एक बहाना था

बात बस इतनी सी थी
की मोहब्बत से भी दिल भर गया
पहले वो दिल में उतरा 
और फिर दिल से उतर गया

Wednesday, September 19, 2018

बचपन बहुत अच्छा था

माँ का प्यार था तो बाप का डर भी था
मगर वो जमाना कितना सच्चा था।
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

सुबह उठने का मन न करना
पर स्कूल भी तो जाना था
होमवर्क क्यों किया नहीं 
ये बहान भी तो बनाना था

दिल उस वक़्त मासूम और सच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

ना फिक्र जमाने की थी
ना खुशियों की ही कोई कमी थी
बस माँ के आँचल में सारी दुनिया थमी थी
खुवाईशों के लिया बाप का साया था
जो माँगा वो उनसे वो सब कुछ पाया था

बड़ा मज़ा था उस वक़्त में जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

अब से मैं बड़ा हो गया हूँ,
अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
पर ना वो सूकून मिलता है
और ना वो चैन ही मिलता है
सीने में कही अरमानो का
एक अंगारा सा जलता है
मैं जब से अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ
सोचता हूँ मैं क्यों बड़ा हो गया हूँ

याद आता है वो वक़्त जब मैं बच्चा था
सब कहते हैं बचपन बहुत अच्छा था

Sunday, September 2, 2018

दिल की बात

ये तो दिल की बात है की मैं क्या लिखता हूँ
कभी कहानी कोई तो कभी ग़ज़ल लिखता हूँ
बड़ा मासूम है वो भी जो दगा दे गया, 
बेवफा लिखता हूँ तो कभी उसे वफा लिखता हूँ
सीखा है हमने हर गम में मुस्कुराना, 
कभी जख्म दिलो के तो कभी दवा लिखता हूँ
बस यूँ ही कट रही है ज़िन्दगी अपनी,
कभी रिश्ते नए तो कभी दोस्त पुराने लिखता हूँ

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