मिटा नहीं पाया कभी अपने दिल से उसकी मोहब्बत
लगता है ये काम वो खुद ही कर जाएगी
मैं तो टूट कर फिर भी संभल ही जाऊंगा
वो जो टूटेगी तो फिर जुड़ न पायेगी
मिल ही जायेंगे उसे बहुत से चाहने वाले
पर वो मेरी जैसी मोहब्बत कहाँ से लायेगी
बन जायेंगे बहुत से उसे अपना कहने वाले
पर उनके बीच में भी वो खुद को अकेला ही पायेगी
इतना तो यकीन है मुझे अपनी मोहब्बत पर
जब भी होगी वो तन्हा तब उसे बस मेरी याद आयेगी
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