ना मैं तुझे याद करुँ, ना तुझे मैं कभी याद जाऊँ
खुदा करे की तू मुझे भूल जाये, मैं तुझे भूल जाऊँ
बस अब बहुत हुआ ये तमाशा तेरी बेरुखी का
अब ना मेरा दिल दुखाये तू, और ना मैं तेरा दिल दुखाऊँ
दिल पर रखकर पत्थर कुछ इस तरह किया किनारा तुझसे
जिस जगह हो तेरा घर उस गली में भी ना जाऊँ
बहुत चुभता था ना तेरी नजरों में कभी 'साहिल'
तुझे तो अब मैं कभी ख्वाबों में भी नज़र ना आऊँ
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