जिसे याद रहता है उसके लिये यादे हैं
जो भूल गया, उसके लिये कुछ भी नहीं
मानो तो जिन्दगी के कुछ हसीन लम्हे थे
अगर ना मानो तो, कुछ भी नहीं
खुद से भी ज्यादा मैने तुम्हे माना था
और तुम्हारे लिये मैं? शायद कुछ भी नहीं
मेरे लिये दोस्ती भी किसी खजाने से कम नहीं
तुम्हारे लिये दोस्ती, शायद कुछ भी नहीं
वक़्त ने ही सिखाया है साहिल को ये सब
खुद से भी ज्यादा मेरा, शायद कुछ भी नहीं
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