Thursday, July 25, 2013

क्या पता था मुझे

किसी ने जिंदगी में पहली बार मेरे लिए कुछ लिखा है.………… 

क्या पता था मुझे एक अजनबी  इतना ख़ास होगा 
उसके दूर होना रास ना होगा,
इस दिल-औ-जहां मैं बस गयी है तस्वीर उनकी 
और उनके बिना जीना अब गवारा ना होगा
________________________________

किस्मत से अपनी सिकायत मुझको है 
वो नहीं मिला जिसकी चाहत मुझको है 
कितने शख्स इस महफ़िल में हैं, 
मगर वो नहीं है जिसकी चाहत मुझको है 
________________________________


No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...