इंसान और मौसम दोनों एक से होते हैं, कुछ वक़्त बाद दोनों बदल जाते है। मौसम बदलता है तो अच्छा भी लगता है लेकिन इंसान बदलता है तो बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता।
पर अगर किसी को एहसास ही न हो की हमारे बदलने से किसी को कोई फर्क पड़ता है, तो ऐसे लोगो के लिए खुद को भी थोडा बदल लेना ही बेहतर होता है…।
मैं भी जिंदगी में खुशियाँ पाना चाहता हूँ,
बैठ कर अकेले में कुछ देर रोना चाहता हूँ।
जब तक खुली है आँखे, दुःख ही मिलेंगे,
अब बंद करके आँखे, मैं सो जाना चाहता हूँ।
अगर सब होना चाहते है दूर मुझसे,
मैं भी सबसे दूर हो जाना चाहता हूँ।
जब बदल जाते हैं लोग यहाँ मौसम की तरह,
मैं भी अब सब की तरह बदल जाना चाहता हूँ।
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