Tuesday, June 29, 2010

वो लड़की

खुद तो अकेली थी ही वो, 
मुझे भी तन्हा कर गयी, 
पलभर में सारी खुशियाँ गम में बदल गयी। 
सोचा था मैं संभाल लूँगा उसके आंसू, 
पर उसके आंसू में मेरी हस्ती भी जल गयी। 
वो ये कहकर मुझे रोता हुआ छोड़ गयी, 
की तुम खुश रहना, 
मेरी तो रोने की अब आदत पड़ गयी। 
रोता था में उसके साथ बैठ कर, 
अब कैसे खुश रहूँ उसके आंसू देखकर, 
रह-रह कर बस एक ही बात याद आती है, 
वो लड़की ऐसी नहीं थी, फिर वो क्यूँ ऐसे बदल गयी।

Monday, June 28, 2010

दिल और आंसू

एक दिन की बात है, 
हमने कुछ ऐसा किया, 
एक हाथ में पत्थर और एक हाथ में दिल लिया। 
ये देखने के लिए की कौन सा है मजबूत ज्यादा, 
दोनों के ऊपर हथोड़े से वार किया। 
पत्थर का तो कुछ न बिगड़ा पर दिल हमारा टूट गया, 
और उस दिन से ये हमसे रूठ गया। 
बोला तुम्हे तो सिर्फ दुःख देना आता है, 
तुम्हारे साथ रहकर हमारा सिर्फ गम से नाता है। 
न तुम हँसते हो न तुम रोते हो, 
इन ग़मों को तुम हमारे अन्दर ही संजोते हो। 
फिर हमने उसे बड़े प्यार से समझाया, 
लगा के गले से उसे ये बताया। 
तुम मेरे अपने हो तभी तो दुःख देता हूँ, 
तुम्हारे सिवा मैं अपना गम और किस्से कहता हूँ। 
अगर तुम भी रूठ जाओगे तो मैं जीऊंगा कैसे, 
इस जहर-ऐ-गम को पीऊंगा कैसे। 
हमारी बात सुनकर एक आंसू आ गया, 
बोला तुम अकेले कहाँ हो देखो मैं आ गया। 
उसकी बात सुनकर दिल को करार आ गया, 
हमें और उसपर थोडा सा प्यार आ गया। 
सोचा हमने रोने के सिवा और क्या किया, 
हमने दिल और आंसू दोनों को गले से लगा लिया।

Saturday, June 26, 2010

याद

ये खुशबु का झोंका कहाँ से आया है, 
कौन इन हवाओं को अपने साथ लाया है, 
मना है यहाँ अंधेरों का भी आना, 
ये उजाले यहाँ कौन लाया है। 
गिरी नहीं कभी यहाँ बारिश की बूंदे, 
समुन्द्रों को यहाँ का पता किसने बताया है, 
बोला नहीं मैं यहाँ कई वर्षों से, 
आज हमें किसने रुलाया है। 
यहाँ कोई आवाज नहीं सुनी कभी, 
ये गीत यहाँ किसने गया है। 
अकेला रहता हूँ मैं यहाँ पर, 
ये किसका साथ हमने पाया है। 
ये सब बातें मैं अब समझ पाया हूँ, 
जिसे हम भूल चुके हैं वो याद आया है।

दिल



मैंने तुझसे कहा था दिल, 
संभल जा अब क्यूँ रोता है, 
दिल है एक कांच का टुकड़ा, 
जो टूटने के लिए ही होता है, 
तू इन्ही ग़मों में देख ख़ुशी, 
क्यूँ ख़ुशी के लिए इन ग़मों को भी खोता है, 
जब हौसला करेगा तो पायेगा मंजिल, 
सिर्फ सोचते रहने से क्या होता है, 
मैं जनता हूँ दिल भरा हुआ है अश्कों से, 
पर आँखों में एक आंसू तक नहीं होता है, 
उफ़ तक नहीं हैं जुबान पर, तू इतने गम क्यूँ सहता है, 
अपने साथ रखा कर, अपनी तन्हाइयां, 
क्यूँ तू इस घर में अकेला रहता है, 
अक्सर सुना है अकेले में रोते हुए, 
पर जब सामने आता है तो चुप रहता है

Friday, June 25, 2010

ख़ुशी और गम

जब वो दुखी होते थे तो हमें याद करके मुस्कुरा लेते थे,
आज हम दुखी हैं तो उन्हें याद करके रो लेते है।

Wednesday, June 23, 2010

एक अनजान रिश्ता


कभी कभी जिंदगी में किसी के साथ एक ऐसा अनजान रिश्ता बन जाता है जिसका कोई नाम नहीं होता, उस रिश्ते में बस दूसरे की ख़ुशी देखी जाती है, हम खुद को मिटा कर भी उसे खुश रखने की कोशिश करते है, उस रिश्ते में कुछ पाने की चाह होती है और कुछ हासिल करने की इच्छा, चाहत होती है तो बस इतनी की जिसे
हम अपना मानते है वो खुश रहे और थोड़ी तमन्ना ये होती है की जिसकी ख़ुशी के लिए हम कुछ भी करने को तैयार रहते हैं वो हमेशा हमें याद रखे, पर उस वक्त बहुत दुःख होता है जिसके लिए हम इतना करते हैं वो ही हमें नहीं समझता पता या कहो हमें इतना समझने के बाद भी गलत समझ लेता है उस वक्त अपने दिल पर क्या बीतती है ये बात हर कोई नहीं महसूस कर सकता। जब हम किसी को अपना मानते हैं तो उसकी गलतियाँ भी हम अनदेखी कर देते है पर जिसे हम अपना नहीं मानते उसकी वो बात भी बुरी लगती है जो शायद गलत नहीं भी होती। अगर हम किसी के लिए इतना करते है और वो हमें गलत समझ तो कितना दुःख होता है क्यूंकि जिसकी नजर में हम अच्छा बन्ने की कोशिश करते हैं उसकी नजर में ही हम गलत साबित हो जाते है, उस वक्त दिल के अन्दर से सभी के लिए जो फीलिंग होती है वो भी ख़तम हो जाती है, क्यूंकि फिर किसी पर विश्वाश करने का दिल ही नहीं करता ये लगता है की कहीं फिर हमारे साथ वैसा ही सलूक नहीं हो। मैं अपने आप को बस ये ही बात कह के समझाता हूँ की "एक को उसने खोया है जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था, और एक को मैंने खोया है जो मेरे बारे में सोचता तक नहीं था।" अगर मैं गलत नहीं हूँ तो कभी कभी ये बात वो भी महसूस करेगा। पर वक्त शायद मैं उसके पास नहीं होऊंगा, पर मैं इश्वर से प्रार्थना करूँगा की उसे कभी मेरी जरूरत पड़े ही नहीं। मैं गलत नहीं हूँ इस दुनिया में बहुत से अनजान रिश्ते भी होते हैं और अगर ये प्यार भी है तो क्या गलत है क्या प्यार करना गलत होता है, गलत तो ये होता है की हम उस प्यार को किस नजर से देखते है, और प्यार पर बस भी किसका चलता है। क्या हम खुद को प्यार करने से नहीं रोक सकते तो हम दूसरो को भी नहीं कह सकते की हमें प्यार मत करो और अगर किसी के दिल में किसी के लिए प्यार हो तो कोई किसी के लिए कर भी नहीं पता यानी किसी के लिए कुछ करने के लिए प्यार का होना बहुत जरूरी है पर कुछ लोग प्यार का बस एक ही मतलब जाने है वो प्यार को कभी समझ ही नहीं पाते। और अगर मैं प्यार कर करता भी हूँ तो ये मेरी प्रॉब्लम है, मैंने कभी ये नहीं चाह की वो भी मुझे प्यार करे मेरे दिल में जो दर्द है शायद पूरी उम्र ख़तम नहीं होगा। पर मुझे इस दर्द की भी आदत हो जाएगी। मुझे आज तक कोई भी ऐसा नहीं मिला जिसे मैं अपने दिल की बात कह सकूँ शायद इसलिए ही मुझे ये ब्लॉग बनाने की जरूरत पड़ी है। इस दुनिया में अच्छा होना सबसे बुरा है क्यूंकि अच्छे वो ही होते हैं जिससे हम प्यार करते हैं और जिससे हम प्यार नहीं करते वो सब बुरे होते है।
सभी सवालों के जवाब देंगे तुझे तेरे ही अंदाज में
सब्र रख हमें थोड़ा मशहूर तो हो जाने दे।
अगर है इश्क़ तो लौट आ किसी बहने से,
अगर है गुरुर तो छोड़ फिर जाने दे।

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आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...