Sunday, September 20, 2020

जिन्दगी


ऐ जिन्दगी तेरा शुक्रिया
हर बात के लिये
कुछ खोया तो कुछ पाया
इसी तरह जिन्दगी चलती रही
हर कदम पर ठोकरे मिली
पर देखो फिर भी संभलती रही
खुशियाँ भी मिली तो
कभी गम भी रहा 

जिन्दगी में ये सब हरदम रहा
ज्यादा गिले-शिकवे तो नहीं तुझसे
शिकायत बस इतनी सी है
क्यूँ मैं हमेशा ही सफ़र में रहा
इस भाग दौड़ वाली जिन्दगी में
कभी यहाँ तो कभी वहाँ
तो कभी कभी यहाँ ठहराव भी रहा
धूप रही तो कभी छाँव भी मिली
औरों से अलग एक
खूबसुरत सी जिन्दगी मिली
उसमें मुझे खुद की भी एक
छोटी सी पहचान मिली
ऐ जिन्दगी तेरा शुक्रिया
जो मिला अच्छा मिला
अंधेरों मे भी मुझे रोशनी मिली
ऐ जिन्दगी तेरा शुक्रिया
ऐ जिन्दगी तेरा शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया

Thursday, September 17, 2020

पिंजरो की औकात नहीं है


पिंजरो की औकात नहीं है
जो बांध सके मुझे बंधन में 
ख्वाहिशें बन कर आजाद परिंदे
नहीं रुकते हैं अब मेरे मन में
धरती पर बैठा तकता हूँ मैं
पंख होते तो उड़ जाता दूर गगन में
ना सुख ना दुख, ना लोभ ना माया
कुछ नहीं है अब मेरे निष्प्राण तन में
गर मिल जाये यहाँ बस प्रेम और सुकून 
बेशक फिर कुछ ना हो जीवन में
खुदा अगर सुने मेरी तो बस इतना करना
किसी का ख्वाब ना टूटे इन नयन में

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आज़ाद

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