किसी का हम अब यूं इन्तेजार नहीं करते
हर किसी पर अब ऐतबार नहीं करते
लम्हा लम्हा चुरा कर थोड़ा वक़्त बचाया है
यूं किसी पर अब वक़्त बेकार नहीं करते
ये जो देख कर हर किसी को मुस्कुराने लगती हो
ये मोहब्बत भी हर किसी से बार बार नहीं करते
झूठे रिश्तों से तो बस दूरियां ही अच्छी हैं
ये ही सोच कर हम भी किसी से प्यार नहीं करते