जिसे भी चाहता हूँ मैं, बस टूट कर चाहता हूँ।
फिर होता है ये कि, मैं खुद टूट जाता हूँ।
अगर कभी दिल करता है कि कोई मनाये मुझे,
मैं खुद से ही लड़ता हूँ और रूठ जाता हूँ।
सपने में भी आये कोई, अब ये गवारा नहीं मुझे,
मैं बस तेरा दीदार पाना चाहता हूँ।
यूँ तो पता है मुझे कि तू मेरी कभी हो नहीं सकती,
पर फिर भी मैं बस तुझे अपना बनाना चाहता हूँ ।
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