ईश्वर पता नहीं क्यों मेरे साथ हमेशा एक ही बात बार क्यों करता है। बचपन से ले कर आज तक हमेशा सोचता था की कोई एक दोस्त हो जो मेरा दुःख समझे, मुझे दिल से अपना माने। हम हमेशा साथ रहे जब तक ज़िंदा हैं। लेकिन पता नहीं क्यों ईश्वर हमेशा मुझे दिखा देता है की मैं अकेला ही हूँ और अकेला ही रहूँगा। मैं अकेला खुश रहता हूँ, अपने दुःख परेशानी अपने तक ही रखता हूँ। लेकिन फिर जीवन में एक मोड़ आ जाता है कोई बहुत खास बन जाता है और मुझे लगने लगता है की ये ही वो दोस्त है जिसकी मुझे तलाश थी लेकिन फिर वही मैं जिसे भी अपना मान लूँ वो मुझसे हमेशा के लिए अलग हो जाता है। मैं जिसे सबसे ज्यादा अपना मानता हूँ और सबसे ज्यादा वैल्यू देता हूँ वो ही मुझे एहसास करवा कर जाता है की मेरी उसकी ज़िन्दगी में कोई वैल्यू नहीं है। और ऐसा मेरे साथ एक बार ही नहीं बल्कि कई बार हुआ है। मैं अंदर से टूट सा जाता हूँ। और फिर सोचता हूँ की मैंने ऐसा रिश्ता बनाया ही क्यों जबकि मुझे पता था मेरे नसीब में ऐसा प्यार या दोस्त नहीं है। कोई नहीं समझ सकता मेरे दर्द को। हर कोई बस मुझे अपने मतलब के लिए दोस्त बनता है। जब तक जरुरत रहती है मैं सबका खास रहता हूँ जब कोई और मिल जाता है तो मैं दूध में से मक्खी की तरह निकल कर फेंक दिया जाता हूँ।
मेरा रिश्तो से अब विश्वास उठ गया है कोई किसी का नहीं होता सब बस मतलब के होते है। जब भी मैं सोचता हूँ की अब किसी पर विश्वास नहीं करूँगा तो कोई न कोई ज़िन्दगी में ऐसा आ जाता है जिसको देख कर लगता है की ये कभी धोखा नहीं देगा और न कभी साथ नहीं छोड़ेगा, पर कहते हैं ना, उम्मीद वहीँ टूटती हैं जहाँ बिलकुल भी उम्मीद नहीं होती। ऐसा नहीं है की ये सब अचानक हो जाता है ये सब होने से पहले दिल और दिमाग में एक जंग शुरू हो जाती है, दिमाग सही दिखता है पर दिल को यकीन नहीं आता। और दिल वही मानता है जो सामने वाला कह देता है क्युकी बहुत विश्वास होता है उस पर। फिर दिमाग कहता है की चल देखते है उसके जीवन में हमारी क्या एहमियत है और कुछ वक़्त के लिए दूर होते है उससे, अगर उसकी नज़र में हमारी वैल्यू होगी तो वो मुझे रोकने के लिए कोशिश करेगा और फिर समझ आता है की किसी को हमारी कोई वैल्यू नहीं है, रोकना तो दूर की बात है कोई पूछता भी नहीं की हुआ क्या है। और फिर दिल दुखी हो जाता है सोचता है क्यों किसी पर इतना विश्वास किया, क्यों किसी को इतना अपना माना, क्यों किसी की इतनी फ़िक्र की, क्यों किसी को इतना प्यार किया।
इश्क़ भी देखा है हमने, यार भी देखे हैं
कोई नहीं अपना बस मतलब के नाते हैं
जो दिल से निभाते हैं रिश्ते अक्सर,
वो खुद हमेशा अकेले रह जाते हैं
जो करते हैं भरोशा खुद से भी ज्यादा औरो पर
सिर्फ वही लोग जिंदगी में धोखा खाते हैं
जब भी हमने किसी अपने को आजमाया है
खुद को हर वक़्त बस अकेला पाया है
साहिल को बनाना है अब बस वक़्त के जैसा
एक बार जो गुजरा फिर वापिस ना आया है