एक तू ही साथ देने वाला है
अमावास की रात में भी तू,
सूरज की रोशनी सा उजाला है
चार कदम चल कर
मैं जब भी लड़खड़या हूँ
बस तूने ही आगे बढ़ कर
मुझे बहुत सम्भाला है
परछाई भी छोड़ दे
जब साथ हमारा
उस वक़्त भी तू
साथ निभाने वाला है
एक दुआ जो दिल से निकली
तुझ तक पहुंच भी जाती है
एक तू ही है जो सबकी
मन की सुनने वाला है
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