Thursday, September 14, 2017

पलकों में हमे भी कहीं तुम


पलकों में हमे भी कहीं तुम, छुपा लिया करो
वक़्त-बे-वक़्त कभी हमें भी, चाह लिया करो
माना के गर्दिशें लाख सही जमाने की मगर
निकाल कर वक़्त थोड़ा, मुस्कुरा लिया करो
ये मौसम जो गुजरा, लौट कर फिर नहीं आएगा
इस मौसम का लुत्फ भी कभी, उठा लिया करो
ये दिललगी है अगर तो दिललगी ही सही
इस दिललगी मे भी कभी दिल, लगा लिया करो

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