Thursday, December 4, 2014

आंसुओ से पलकों को


आंसुओ से पलकों को भिगोना चाहता हूँ 
आज मैं खुल कर रोना चाहता हूँ।  
जो खो गया है, मेरा बीता हुआ कल, 
मैं उसको फिर से पाना चाहता हूँ। 
थक चुका हूँ रो रो कर अब मैं, 
अब पल दो पल मैं मुस्कुराना चाहता हूँ। 
अपनों ने तो दिए है मुझे धोखे बहुत, 
अब मैं दुश्मनो को भी अजमाना चाहता हूँ। 
वही बात रह रह कर याद आती है मुझे,
जिसे मैं हमेशा के लिए भूल जाना चाहता हूँ 
कहने को तो बहुत कुछ है मेरे दोस्तों,
पर  कुछ बाते मैं अपने दिल में छुपाना चाहता हूँ। 

Wednesday, December 3, 2014

करो चाहे कितना भी


करो चाहे कितना भी भला किसी का 
यहाँ सिर्फ बुराई ही मिलती है 
मोहब्बत करो चाहे तुम कितनी भी किसी से 
यहाँ सिर्फ बेवफाई ही मिलती है 
जब तक रौशनी है तो देते है साथ सभी 
अँधेरे में तो अपनी परछाई भी नही मिलती है 


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