Wednesday, March 19, 2014

फिर वही .......


आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने बैठा हूँ, कुछ ग़ज़ल या शायरी से अलग अपने दिल कि बात।  क्यों लिखता हूँ मुझे नही पता बस लगता हैं अपने अंदर नहीं रख सकता इसलिए लिख देता हूँ।   

बात वही है जो पहले थी, प्यार और विश्वाश। 

मैंने अपनी जिंदगी में प्यार कि कमी बहुत महसूस कि हैं इसलिए ही जब भी किसी से प्यार मिला बस जी-जान से उसी का हो गया। पर बात फिर वही आ जाती है, ये जरुरी नहीं होता कि सबकी सोच हमारे जैसी ही हो और दूसरा भी हमें वैसा ही प्यार करे जैसा हम करते हैं। 

सब कहते सब हैं कि प्यार और विश्वाश दुबारा नहीं होता लेकिन ऐसा नहीं है, प्यार भी दुबारा हो जाता हैं, और उतना ही जितना पहली बार होता है। मुझे भी हो गया और शायद मैं ही पागल था जो दुबारा किसी को प्यार किया और उस पर विश्वाश किया।  प्यार मैं क्या करू मैं भूखा हूँ प्यार का, जैसे भूखा रोटी के लिए दुखी रहता है मैं प्यार के लिए रहता हूँ, जितना मैं किसी को प्यार करता हूँ उतना मुझे क्यों नहीं मिलता। क्या ये मेरी गलती है कि मैं किसी को प्यार करता हूँ तो उस पर जान भी दे सकता हूँ।  

पता नहीं लोग क्यों झूठ बोलते हैं और क्यों सच्ची बात छिपाते हैं । मैं किसी पर इतना विश्वाश करता हूँ और वो मुझे अपनी बात न बताये या झूठ बोले ये मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, क्या करू मैं।  क्या सबको दुःख पहुँचने के लिए मैं ही मिलता हूँ।  


मैं अपनी यादे अब किसी के लिए बेकरार ना करू, 
चाहे मौत मिले या जिंदगी, किसी का इन्तेजार ना करू।  
ऐ खुदा अगर सुनता हैं मेरी दुआ तो बस इतना करना, 
जिंदगी में मैं अब किसी से प्यार ना करू।  

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