Thursday, November 14, 2013

मेरी मोहब्बत कि


मेरी मोहब्बत कि बस इतनी सी कहानी रही
उसकी याद ही मेरी सारी जिंदगानी रही 
कभी रो लिया, कभी लिख लिया, कभी गा लिया
बस यूं ही  बर्बाद मेरी जवानी रही 
जाते हुए वो मेरी आँखों में आंसू दे गयी 
मेरे पास उसकी बस एक ये ही निशानी रही

No comments:

Post a Comment

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...