Monday, December 28, 2020

एक दोस्त



कोई पूछे कौन हूँ मैं
कह देना कोई खास नहीं है
बस यूं ही एक दोस्त है
हवा के झोंकों सा
कभी कभी आ जाता है
बस यूँ ही भूली बिछ्ड़ी याद की तरह
ख्याल बन कर छा जाता है
दूर ही है ये पास नहीं है
एक दोस्त है जो इतना खास नहीं है
कभी रूठ जाये तो मनाया नहीं जाता
कभी रो रहा हो तो हँसाया नहीं जाता
एहसास नहीं होता इसके होने ना होने से
डर नहीं लगता इसके खोने से
अब इतना भी इस पर विश्वास नहीं है
बस एक दोस्त है जो इतना खास नहीं है

Thursday, December 24, 2020

इश्वर


तन्हा तन्हा सा मैं, बस 
एक तू ही साथ देने वाला है
अमावास की रात में भी तू,
सूरज की रोशनी सा उजाला है
चार कदम चल कर 
मैं जब भी लड़खड़या हूँ
बस तूने ही आगे बढ़ कर
मुझे बहुत सम्भाला है
परछाई भी छोड़ दे 
जब साथ हमारा
उस वक़्त भी तू 
साथ निभाने वाला है
एक दुआ जो दिल से निकली
तुझ तक पहुंच भी जाती है
एक तू ही है जो सबकी
मन की सुनने वाला है

Thursday, December 17, 2020

मन को मंदिर बना लूँ घर को बना लूं काबा


मन को मंदिर बना लूँ घर को बना लूं काबा
मैं तुझ्में समा जाऊँ तू मुझमें समा जा
कुछ ना नज़र आये फिर बस तेरे सिवा
ये बिखरी हुई सी जिंदगी है फिर यूं ही सँवर जा

मन को मंदिर बना लूँ घर को बना लूं काबा
मैं तुझ्में समा जाऊँ तू मुझमें समा जा

ना खता हो मुझसे ना ही कोई लडाई हो
ना दूरी ही रहे तुझसे ना कभी जुदाई हो
ख्वाहिशें फिर बस ठहर सी जाये
बस एक बार तू अगर मिलने आ जा

मन को मंदिर बना लूँ घर को बना लूं काबा
मैं तुझ्में समा जाऊँ तू मुझमें समा जा

चढा है मुझ पर इश्क़ का रंग और ना कुछ फिर भाया है
रंग-बिरंगी जिंदगी में, ये जो तेरा रंग समाया है
बिन तेरे सब सूना सूना, खाली सा ये बादल छाया है
सूनी पड़ी मेरी जिन्दगी को रोशन तू बना जा

मन को मंदिर बना लूँ घर को बना लूं काबा
मैं तुझ्में समा जाऊँ तू मुझमें समा जा

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