Thursday, August 1, 2013

ऐ मेरे हमसफ़र

मुझे लिखना तो नहीं आता पर पहली बार एक गाना लिखा है, पता नहीं किसी की समझ में आएगा भी या नहीं।

ऐ मेरे हमसफ़र, तन्हा मुझे छोड़कर 
कहीं दूर ना जा, कहीं दूर ना जा.………… 
बता मुझे ऐ-जान-जिगर,
कोई कसूर मुझसे हुआ हो अगर

पर ऐ मेरे हमसफ़र, तन्हा मुझे छोड़कर,
कहीं दूर ना जा, कहीं दूर ना जा.…………. 

तू जो कहती अगर, मर भी जाता मगर,
मुझे जीना तेरे साथ है.…… 
मैं चाहू तुझे, तू चाहे मुझे,
फिर चाहे दिन है, या रात है,
पर ना दिखा ये बेरुखी, मेरा दिल यूँ तोड़ कर,

पर ऐ मेरे हमसफ़र, तन्हा मुझे छोड़कर,
कहीं दूर ना जा, कहीं दूर ना जा.………. 
ऐ मेरे हमसफ़र, तन्हा मुझे छोड़कर,
कहीं दूर ना जा, कहीं दूर ना जा.……….
कहीं दूर ना जा, कहीं दूर ना जा.……….

 

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...