Monday, July 4, 2011

दिल का रिश्ता.....

काश वो फिर एक बार मिल जाये मुझे,
मैं फिर उसकी चाहत में तड़पना चाहता हूँ.
लगाकर उसको अपने सीने से,
अपने दिल में कहीं छुपाना चाहता हूँ.
वो छू ले मुझे एक बार प्यार से,
मैं फूल बनकर बिखर जाने चाहता हूँ.
मौत भी न जुदा कर पाए उससे मुझे,
मैं मरकर भी उसका साथ निभाना चाहता हूँ.

Featured Post

आज़ाद

देखता हूं परिंदों को उड़ते हुए सोचता हूँ किस कदर आजाद हैं ये इन्हें बस अपनी मौज में जीना है ना कोई रोकता है इन्हें ना ही किसी की फिक्र है ना...